महत्त्वपूर्ण अतीत कभी व्यतीत नहीं होता, निरंतर गतिशील रहता है – प्रो. पूनम सिन्हा
महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जयंती मनाई गयी। ‘दिनकर की प्रासंगिकता’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉक्टर पूनम सिन्हा ने कहा कि महत्त्वपूर्ण अतीत कभी व्यतीत नहीं होता, निरंतर गतिशील रहता है । तुलसी के रामचरितमानस के समान दिनकर का काव्य जन- जन के हृदय में है, जुबान पर है। दिनकर की प्रतिबद्धता सबसे अधिक अपने पाठकों से संबद्ध थी इसलिए वे आज भी जीवंत हैं । प्राचार्य डॉ कनुप्रिया ने अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार शेक्सपियर और दिनकर की रचनाओं का तुलनात्मक विवेचन करते हुए कहा कि “यह दोनों जनमानस के कवि हैं इसलिए हर युग में प्रासंगिक रहेंगे । इस अवसर पर डॉ. श्रीनारायण सिंह ने दिनकर के साथ जुड़े अपने छात्र जीवन का रोचक संस्मरण साझा किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ राकेश रंजन ने कहा कि ” दिनकर सांस्कृतिक चेतना के जीवंत कवि हैं जिन्होंने आजादी का संघर्ष किया और नव भारत के निर्माण में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया ।
इससे पूर्व प्राचार्य डॉ कनुप्रिया ने मुख्य अतिथि बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पूनम सिन्हा एवं पूर्व जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीनारायण प्रसाद सिंह को शॉल एवं पौधा देकर सम्मानित किया, इस अवसर पर प्रो. रोहन कुमार ने महाविद्यालय सभागार में ओजपूर्ण कविता पाठ किया, वहीं छात्रों के बीच महाविद्यालय में कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें विजेता छात्राओं को अतिथि एवं मुख्य वक्ता द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। मंच संचालन डॉक्टर गीतांजलि, एवं विषय प्रवेश डॉ. सुप्रिता शालिनी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंजु ने किया। इस अवसर पर प्रतिवेदन पाठ डॉ पल्लवी के द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ प्रिया, डॉ मीनाक्षी एवं रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा के अलावे दर्जनों छात्रा अभिलाषा ,गोल्डी,अलका, गरिमा ,रूपा, खुशी, अनन्या,रीमा आदि उपस्थित थी ।